समजे गा वहाँ कौन आदमी

समजे गा वहाँ कौन आदमी को आदमी बंदा जहा ख़ुदा को ख़ुदा मानता नही|

धरो पे नाम

धरो पे नाम थे नमो के साथ ओहदे थे बहुत तलास किया कोई आदमी न मिला

Jise Umer Bhar

Tamam Umer Usi Ke Khayal Mein Guzri Mera Khayal Jise Umer Bhar Nahi Aaya….

उसकी आँखों के

उसकी आँखों के काले घेरे बताते हैं। उसको मुझसे पहले भी किसी ओर से प्यार था ।।

थक जाते है

थक जाते है, वो मेरे पास आतै आते शायद अब मोहब्बत बुढी हो गई है.

अपनों को तनहा

मैंने पत्थरों को भी रोते देखा है झरने के रूप में.. मैंने पेड़ों को प्यासा देखा है सावन की धूप में…! घुल-मिल कर बहुत रहते हैं लोग जो शातिर हैं बहुत… मैंने अपनों को तनहा देखा है बेगानों के रूप मे….!!!!

किसी ने अपना बनाया

किसी ने अपना बनाया, बना के छोङ दिया मुझे गले से लगाया, लगा के छोङ दिया गले से लगके मिले गैरों से वो महफिल मे हमारा हाथ दबाया, दबाके छोङ दिया मेरे सलाम का इस नाज से दिया है जवाब अदब से हाथ उठाया, उठा के छोङ दिया

वो मेरी आखरी

वो मेरी आखरी सरहद हो जैसे, सोच जाती ही नहीं उस से आगे…

आँगन आँगन नहीं होता

वो आँगन आँगन नहीं होता जहाँ बेटियाँ नहीं खेलतीं वो रसोई रसोई नहीं होती जहाँ मांयें रोटियाँ नहीं बेलतीं ।

कैसे पढ़ते हो जनाज़ा

सुनो, कैसे पढ़ते हो जनाज़ा उसका वो लोग जो अंदर से मर जाते है|

Exit mobile version