हमने तो बेवफा के भी दिल से वफ़ा किया इसी सादगी को देखकर सबने दगा किया मेरी टिशनगी तो पी गयी हर जख्म के आँसू गर्दिश मे आके हमने अपना घर बना लिया
Category: दर्द शायरी
आओ नफरत का किस्सा
आओ नफरत का किस्सा, दो लाइन में तमाम करें, दोस्त जहाँ भी मिले, उसे झुक के सलाम करें….
ना कहने से होती है
ना कहने से होती है , ना सुनाने से, ये जब शुरू होती है तो बस मुस्कुराने से….
रिश्ते होते है
रिश्ते होते है मोतियों की तरह … कोई गिर भी जाये तो झुक के उठा लेना चाहिए ।
किसको बरदाश्त है
किसको बरदाश्त है खुशी आजकल दूसरो की लोग तो मय्य़त की भीङ देखकर भी जल जाते है ||
अपनी कमजोरियो का जिक्र
अपनी कमजोरियो का जिक्र कभी न करना जमाने से. लोग कटी पतंगो को जम कर लुटा करते है !!
बहुत अजीब हैं
बहुत अजीब हैं ये कुर्बतों की दूरी भी, वो मेरे साथ रहा पर मुझे कभी न मिला…
होगी जरूर फूंक की
होगी जरूर फूंक की भी कुछ कीमत, वरना, बांसुरी तो बहुत सस्ती मिलती है …।।
वक्त सिखा देता है
वक्त सिखा देता है इंसान को फ़लसफ़ा जिंदगी का फिर नसीब क्या-लकीर क्या-और तकदीर क्या
मुस्कान के सिवा
मुस्कान के सिवा कुछ न लाया कर चेहरे पर..! मेरी फ़िक्र हार जाती है तेरी मायूसी देखकर..!!