लफ़्ज़ “आईने” हैं
मत इन्हें उछाल के चल,
“अदब” की “राह” मिली है तो
“देखभाल” के चल
मिली है “ज़िन्दगी” तुझे
इसी ही “मकसद” से,
“सँभाल” “खुद” को भी और
“औरों” को “सँभाल” के चल “
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
लफ़्ज़ “आईने” हैं
मत इन्हें उछाल के चल,
“अदब” की “राह” मिली है तो
“देखभाल” के चल
मिली है “ज़िन्दगी” तुझे
इसी ही “मकसद” से,
“सँभाल” “खुद” को भी और
“औरों” को “सँभाल” के चल “