पता नहीं क्या जादू है ।
” माँ ” के पेरो में जितना झुकता हूँ ।
उतना ही उपर जाता हूँ ।
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
पता नहीं क्या जादू है ।
” माँ ” के पेरो में जितना झुकता हूँ ।
उतना ही उपर जाता हूँ ।