इतना ही गुरुर था

इतना ही गुरुर था तो मुकाबला इश्क का करती ऐ बेवफा
हुस्न पर क्या ईतराना जिसकी ओकात ही बिस्तर तक है ।

Leave a comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Exit mobile version