लफ्ज ही ऐसी चीज़ है
जिसकी वजह सेइंसान
या तो दिल में उतर जाता
है या दिल से उतर जाता है
ज़िन्दगी के इस कश्मकश
मे वैसे तो मैं भी काफ़ी बिजी हुँ
लेकिन वक़्त का बहाना बना
कर अपनों को भूल जाना मुझे
आज भी नहीं आता !
जहाँ दोस्त याद न आए वो
तन्हाई किस काम की
बिगड़े रिश्ते न बने तो खुदाई
किस काम की बेशक अपनी
मंज़िल तक जाना है
पर जहाँ से अपना दोस्त ना
दिखे वो ऊंचाई किस काम की …….