प्रेम न तो किसी शब्द से और न किसी किताब से परिभाषित किया जा सकता है।
ये तो सिर्फ महसूस किया जा सकता है।
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
प्रेम न तो किसी शब्द से और न किसी किताब से परिभाषित किया जा सकता है।
ये तो सिर्फ महसूस किया जा सकता है।