तमाम ठोकरें खाने के बाद, ये अहसास हुआ
मुझे..
कुछ नहीं कहती हाथों की लकीरें,खुद बनानी पङती हैं बिगङी
तकदीरें
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
तमाम ठोकरें खाने के बाद, ये अहसास हुआ
मुझे..
कुछ नहीं कहती हाथों की लकीरें,खुद बनानी पङती हैं बिगङी
तकदीरें