चले आती है कमरे में दबे पाँव ही, हर दफ़े..
तुम्हारी यादों को दरवाज़ा खटखटाने की भी तमीज़ नहीं
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
चले आती है कमरे में दबे पाँव ही, हर दफ़े..
तुम्हारी यादों को दरवाज़ा खटखटाने की भी तमीज़ नहीं