दो लफ़्ज़ों की

ये दो लफ़्ज़ों की तेरी-मेरी कहानी तू “मक्का” की धूल मैं “काशी” का पानी….

किस चीज़ पर

एक फ़क़ीर दो चिता की राख को बड़े ध्यान से देखते हुये किसी ने पूछा कि बाबा ऐसे क्यू देख रहे हो राख को ??? फ़क़ीर बोला कि ये एक सेठ की लाश की राख है जिसने ज़िंदगी भर काजू बादाम स्वर्ण भस्म खाये और ये एक ग़रीब की लाश है जिसे दो वक़्त की… Continue reading किस चीज़ पर

दूर तक रेत ही

दूर तक रेत ही चमकती है कोई पानी नहीं है धोका है किसके काँधे पे रखके सर रोऊँ हाल सबका ही मेरे जैसा है

परदे पड़े हुए

क्या क्या हकीकतों पे है परदे पड़े हुए तू है किसी का और किसी का दिखाई दे

इल्ज़ाम दिल दुखाने का

मैं और कोई बहाना तलाश कर लूँगा तू अपने सर न ले इल्ज़ाम दिल दुखाने का

हो नहीं सकता…॥

मिल जाएगा हमें भी कोई टूट के चाहने वाला, अब सारा का सारा शहर वेवफा तो हो नहीं सकता…॥

हमेशा उन्हीं के करीब

हमेशा उन्हीं के करीब मत रहिये जो आपको खुश रखते हैं, बल्कि कभी उनके भी करीब जाईये जो आपके बिना खुश नहीं रहते हैं।

सारी लाइने व्यस्त है..

आज मुझे एक नया अनुभव हुआ अपने मोबाइल से अपना ही नंबर लगाकर देखा, आवाज आयी The Number You Have Call Is Busy.. … फिर ध्यान आया किसी ने क्या खुब कहा है…. “औरो से मिलने मे दुनिया मस्त है पर, खुद से मिलने की सारी लाइने व्यस्त है..

शीशे का घर था

मैं एक शीशे का घर था, बहुत टूटा । लोग जो भी गुज़रे हैं, पत्थर से गुज़रे हैं ।।

सब में रब

सब में रब दिखता जिसको वो ही सच्चा हाजी है |

Exit mobile version