मुद्तों के बाद

मुद्तों के बाद उसको किसी के साथ खुश देखा तो एहसास हुआ … काश की उसको बहुत पहले हे छोड़ दिया होता ..

पाँव सूख हुए

पाँव सूख हुए पत्तों पर अदब से रखना, माँगी थी धूप में तुमने पनाह इनसे कभी…

ईमान बिकता हे

ईमान बिकता हे ओरते बिकती हे बड़ी अजीब है दुनिया की ये दुकाँ यारो

दिल का झुकना

दिल का झुकना बहुत ज़रूरी है सर झुकाने से रब नहीं मिलता………..

उर्दू न समझी

उन्होंने उर्दू न समझी न पढ़ी उनका उर्दू पे ये एहसान रहा ऐसे हालात में कह पाना ग़ज़ल यक़ीनन सख़्त इम्तेहान रहा

रोज के मिलने में

हर रोज के मिलने में तकल्लुफ़ कैसा, चाँद सौ बार भी निकले तो नया लगता है….!!!

बर्फ से पुछा

कीसी ने बर्फ से पुछा की, आप इतने ठंडे क्युं हो ? बर्फ ने बडा अच्छा जवाब दिया :- ” मेरा अतीत भी पानी; मेरा भविष्य भी पानी…” फिर गरमी किस बात पे रखु ??

काश कही से

काश कही से मिल जाते वो अलफ़ाज़ हमे भी, जो तुझे बता सकते कि हम शायर कम, तेरे आशिक ज्यादा हैं…..!!

किसी को राह

किसी को राह दिखलाई किसी का ज़ख्म सहलाया किसी के अश्क जब पोंछे तब इबादत का मज़ा आया|

घड़ी की फितरत

घड़ी की फितरत भी अजीब है, हमेशा टिक-टिक कहती है, मगर,…. ना खुद टिकती है और ना दूसरों को टिकने देती है !

Exit mobile version