मिल सके आसानी से

मिल सके आसानी से , उसकी ख्वाहिश किसे है? ज़िद तो उसकी है … जो मुकद्दर में लिखा ही नहीं!!!!!

क़ैद ख़ानें हैं

क़ैद ख़ानें हैं , बिन सलाख़ों के…कुछ यूँ चर्चें हैं , तुम्हारी आँखों के…

क्या करना करेडों का

क्या करना करेडों का, जब अरबो का बापू साथ है ।

आवाज़ बर्तनों की

आवाज़ बर्तनों की घर में दबी रहे, बाहर जो सुनने वाले हैं, शैतान हैं बहुत….

ऐसी भी अदालत है

ऐसी भी अदालत है जो रूह परखती है, महदूद नहीं रहती वो सिर्फ़ बयानों तक

ग़नीमत है नगर वालों

ग़नीमत है नगर वालों लुटेरों से लुटे हो तुम, हमें तो गांव में अक्सर, दरोगा लूट जाता है|

आपके ही नाम से

आपके ही नाम से जाना जाता हूँ “पापा”. भला इस से बड़ी शोहरत मेरे लिए क्या होगी…

मोहब्बत का कफ़न दे

मोहब्बत का कफ़न दे दो तो शायद फिर जनम ले ले !! अभी इंसानियत की लाश चौराहे पे रक्खी है !!

फिर यूँ हुआ कि

फिर यूँ हुआ कि सब्र की उँगली पकड़ कर हम.. इतना चले कि रास्ते हैरान हो गए..

मैंने कब तुम से

मैंने कब तुम से मुलाकात का वादा चाहा, मैंने दूर रहकर भी तुम्हें हद से ज्यादा चाहा..

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