तेरे वादों ने हमें घर से निकलने न दिया, लोग मौसम का मज़ा ले गए बरसातों में|
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ज़ख़्मों के बावजूद
ज़ख़्मों के बावजूद मेरा हौसला तो देख…. तू हँसी तो मैं भी तेरे साथ हँस दिया….!!
आग पर चलना पड़ा है
आग पर चलना पड़ा है तो कभी पानी पर गोलियां खाई हैं फ़नकारो नै पेशानी पर
खुबसूरती से धोका ना खाईए
खुबसूरती से धोका ना खाईए साहब… तलवार कितनी भी खुबसूरत हो मांगती तो खून हि है…
हर आरज़ू मेरी ख़त्म हुई
हर आरज़ू मेरी ख़त्म हुई एक जुस्तजू पे आकर………!फिर चाहे इंतज़ार-ए-इश्क़ हो; या हो दीदार तेरा……….!!
बदनसीब मैं हूँ
बदनसीब मैं हूँ या तू हैं, ये तो वक़्त ही बतायेगा…बस इतना कहता हूँ,अब कभी लौट कर मत आना…
मौसम की पहली बारिश
मौसम की पहली बारिश का शौक तुम्हें होगा. हम तो रोज किसी की यादो मे भीगें रहते है..!
उनका इल्ज़ाम लगाने का
उनका इल्ज़ाम लगाने का अन्दाज़ गज़ब था… हमने खुद अपने ही ख़िलाफ,गवाही दे दी..
ये मुहब्बत की
ये मुहब्बत की तोहीन है… चाँद देखूँ तुम्हें देखकर…
चूम लेता है
चूम लेता है झूठे तमगे जीत के भी हार जाता है मौत तो कई दफा होती है जनाजा मगर एक बार जाता है|