ऐ समन्दर मैं तुझसे वाकिफ हूं मगर इतना बताता हूं… वो आंखें तुझसे ज्यादा गहरी हैं जिनमें मैं समाता हूं…
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कौन चाहता है
कौन चाहता है तेरी यादो से रिहा होना, ये तो वो कैद है जो जान से ज्यादा अज़ीज़ है |
नज़र से नज़र मिलाकर
नज़र से नज़र मिलाकर तुम नज़र लगा गए… ये कैसी लगी नज़र की हम हर नज़र में आ गए!!
खुलासा तो कर दूँ
खुलासा तो कर दूँ ,अपनी मोहब्बत कामगर… मेरी ये संपत्ति,मेरी आय से अधिक है.!!!
हम ने ठानी और है…
कोई दिन गर ज़िंदगानी और है, अपने जी में हम ने ठानी और है…
इश्क था इसलिए
इश्क था इसलिए सिर्फ तुझसे किया, फ़रेब होता तो सबसे किया होता|
इतनी जवाँ रात
इतनी हसीन इतनी जवाँ रात क्या करें, जागे हैं कुछ अजीब से जज़्बात क्या करें…
लम्हा सा बना दे
लम्हा सा बना दे मुझे.. रहूँ गुज़र के भी साथ उसके
नादाँ तुम भी
नादाँ तुम भी नही नादाँ हम भी नही मुहब्बत का असर इधर भी है …उधर भी है
तुम्हारी नाराजगी बहुत
तुम्हारी नाराजगी बहुत वाजिब है… मै भी खुद से खुश नहीं हूँ !