याद मत आओ

खनक उठें न पलकों पर कहीं जलते हुए आँसू,, तुम इतना याद मत आओ के सन्नाटा दुहाई दे..!

रोज़ वो ख़्वाबों में

रोज़ वो ख़्वाबों में आते हैं गले मिलने को, मैं जो सोता हूँ तो जाग उठती है किस्मत मेरी…

हम दर्द सहते हैं

शुक्र करो कि हम दर्द सहते हैं, लिखते नहीं । वरना कागजों पर लफ़्ज़ों के जनाज़े उठते ॥

हकिकत से बहोत

हकिकत” से बहोत दूर है, “ख्वाहिश” मेरी..!!! फिर भी एक “ख्वाहिश” है कि एक ख्वाब “हकिकत” हो जाये..!

ज़हन में रखना

बदल जाओ भले तुम पर ये ज़हन में रखना..कही पछतावा ना बन जाए हम से बेरुखी इतनी.

जीना नहीं आता

जिंदगी सुंदर है पर मुझे. जीना नहीं आता, हर चीज में नशा है पर मुझे. पीना नहीं आता, सब मेरे बिना जी सकते हैं, र्सिफ मुझे दोस्तों के बिना…. जीना नहीं आता….!

अपना दर्द अपनो को

सब सो गए थे अपना दर्द अपनो को सुना कर मेरा भी कोई अपना होता तो मुझे भी नींद आ जाती…….

सहा ना जाये

सहा ना जाये के उसका लहजा सख्त ऐसा था, ये और बात थी, वो लब नाजुक फूलों जैसा था.

चोट लगती है

निगाहों से भी चोट लगती है… जनाब…. जब कोई देख कर भी अन्देखा कर देता है…!!

मेरी जिंदगी में

वो फिर से लौट आये थे मेरी जिंदगी में’ अपने मतलब के लिये और हम सोचते रहे की हमारी दुआ में दम था.. .

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