मासूमियत खो दी है

फरेबी हूँ, जिद्दी हूँ, और पत्थर दिल भी हूँ , मासूमियत खो दी है मैंने, वफा करते करते….

मज़हब पता चला

मज़हब पता चला जो मुसाफ़िर कि लाश का.. चुप चाप आधी भीड़ घरों को चली गयी…!!”

स्वर्ग में सीढ़ी

स्वर्ग में सीढ़ी लगाने की अभिलाषा खत्म हो गयी चाहे साथ ही मेरे ….. चाँद की पगडंडी से देखा हैं अपना वजूद मैंने अग्नि भेंट होता भी …. पर मैं आज भी ज़िंदा हू हमेशा ज़िंदा रहूँगा तेरे दिलो दिमाग अंदर ….!!

काश वो नया

काश वो नया तरीका-ऐ-क़त्ल इज़ाद करें, मर जाऊ हिचकियों से वो इस कदर याद करें।

देख रहीं हैं

देख रहीं हैं खामोश नज़रें तुम्हारा झूठ का नज़रअंदाज़ करना…!!

तेरा ऐसे आने से

ले चला जान मेरी रूठ के जाना तेरा ऐसे आने से तो बेहतर था न आना तेरा।।।।

पसीना बना दे

मुकद्दर एक रोज जरुर बदलेगा बस इतना कर, जिस्म मैं दौड़ते लहू को माथे का पसीना बना दे

शिकायते तो बहुत है

शिकायते तो बहुत है तुझसे ए जिन्दगी; पर जो दिया तूने, वो भी बहुतो को नसीब नही….

हार की परवाह

हार की परवाह करता,तो मै जीतना छोड़ देता…लेकिन “जीत” मेरी ‘जिद’ है,और जिद का मै बादशाह हूँ…!

सपने बेच दिये..

भूख मिटाने की खातिर, हमने सपने बेच दिये…?

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