zulfon ne kiya

Baarha khwaab me Paa kar mujhe pyaasa sa.. Oski zulfon ne kiya raqs ghataaon jeisa..!

तुम्हें ग़ैरों से कब

तुम्हें ग़ैरों से कब फुर्सत हम अपने ग़म से कब ख़ाली चलो बस हो चुका मिलना न तुम ख़ाली न हम ख़ाली.

मैं डूबता हूँ

ना जाने किसकी दुआओं का फैज़ है मुझपर, मैं डूबता हूँ और दरिया उछाल देता है..

शर्म आती है

जब कभी खुद की हरकतों पर शर्म आती है ….. चुपके से भगवान को भोग खिला देता हूँ …..

रोता रहा रात भर

मै रोता रहा रात भर मगर फैंसला न कर सका, तू याद आ रही है, या मैं याद कर रहा हूँ…

छोड़ दिया उसका

छोड़ दिया उसका इंतजार करना हमेशा के लिए.. ऐ दोस्तों जिसे निगाह की क़दर नहीं.. उसे मूड मूड कर क्या देखना

हम ही हम थे

उनकी बातों मैं प्यार के तेवर कम थे… जब आँखों में झाँका तो हम ही हम थे…!

अज़ब माहौल है

अज़ब माहौल है हमारे मुल्क का… मज़हब थोपा जाता है, इश्क रोका जाता है….

ऊसके जैसी कोई

ऊसके जैसी कोई ओर कैसे हो सकती है , और अब तो वो खुद अपने जैसी नहीं रही..

ये तेरा अकड़

ये तेरा अकड़ तो दो दिन की कहानी है । पर मेरा attitude तो खानदानी है।

Exit mobile version