मन्नत के धागे

मन्नत के धागे की तरह बाँधा है तुझे, रब करे ये गाँठे ता-उम्र ना खुल पाये !

ज़िन्दगी क्या है

ज़िन्दगी क्या है जानने के लिए ज़िंदा रहना बहुत ज़रूरी है

न जाने किस हुनर को

न जाने किस हुनर को शायरी कहते हो तुम, हम तो वो लिखते हैं जो तुम्हें कह नहीं पाते।

ज़रा ज़रा सी बात पर

ज़रा ज़रा सी बात पर, तकरार करने लगे हो… लगता है मुझसे बेइंतिहा, प्यार करने लगे हो…

समझनी है जिंदगी

समझनी है जिंदगी तो पीछे देखो, जीनी है जिंदगी को तो आगे देखो …..!!

तुम फिर आ गये

तुम फिर आ गये मेरी शायरी में…क्या करूँ… न मुझसे शायरी दूर जाती है न मेरी शायरी से तुम..

तुम सावन का महीना

तुम सावन का महीना हो मै तुझपे छाया हूँ झूले की तरह|

दो दीवारें एक जगह

दो दीवारें एक जगह पर मिलती थी कहने को वो कोना, ख़ाली कोना था…

हारने वाले के आगे

हारने वाले के आगे हाथ जोड़कर दिल जीतता हुँ महोब्बत के अखाड़े का सुल्तान मैं भी हूँ ।

मैं कीमती बहुत हूँ

मैं कीमती बहुत हूँ, तुम मुझे खो कर तो देखो|

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