दिल पे हाथ रख

तू मेरे दिल पे हाथ रख के तो देख, मैं वही दिल, तेरे हाथ पे दिल ना रख दूँ तो कहना….!!

जितना क़रीब था..

मिलना था इत्तेफ़ाक़, बिछरना नसीब था…वो इतना दूर हो गया जितना क़रीब था..

जवाब नहीं होते…

मत पूछ रात भर जागने की वजह अये दिल ए नादान, मोहब्बत में कुछ सवालों के जवाब नहीं होते…

कुछ पाया था

कुछ पाया था, कुछ खोया था ….! बस ये सोच के दिल बहुत रोया था ….! पर आज ये सोचकर खामोश है हम, कि जो खोया था क्या सच में कभी पाया था…

खूब मोहब्बत है

क्या खूब मोहब्बत है तेरी… तोड़ा भी हमें छोड़ा भी हमें …

आज होगा हिसाब

तुम कहां थे कहां रहे साहेब आज होगा हिसाब बरसों में

कब तक बाँटता रहू

मैं कब तक बाँटता रहू ख़ुदको , मुझे अपना भी तो हिस्सा रखना चाहिए ….

समन्दर के सफ़र में

समन्दर के सफ़र में इस तरह आवाज़ दो हमको हवाएँ तेज़ हों और कश्तियों में शाम हो जाए!!!

तो क्या करता

ना शाखों ने पनाह दी ना हवाओं ने संभाला वो पत्ता आवारा न बनता तो क्या करता

ख़ुशी मुझ को

उसकी जीत से होती है ख़ुशी मुझ को, यही जवाब मेरे पास है अपनी हार का !

Exit mobile version