सुधरना-बिगडना मनुष्य के स्वभाव पर निर्भर करता है ना की माहौल पर l रामायण में दो पात्र हैं विभीषण और कैकयी ! ंविभीषण रावण के राज्य में रह कर के भी नही बिगडा और कैकयी राम के राज्य में रहकर भी नही सुधरी l
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अपना नया इतिहास
अपनी जमीन, अपना नया आसमान खुद पैदा करुगा मांगने से ऐसी ज़िंदगी कब मिलती है खुद ही अपना नया इतिहास पैदा कर…
प्यार से इस्तीफा
तुम नफरतो के धरने पर कयामत तक बैठो मै अपने प्यार से इस्तीफा कभी नही दूंगा.!!!
जी न सके हम
यूँ तो जी रहे है सारी उम्र जीनी है लेकिन, जीने की तरह जी न सके हम..।।
सारी बरकत है
जलने वालों की दुआ से ही सारी बरकत है….वरना… अपना कहने वाले लोग तो याद भी नहीं करते….!!!!
मोहब्बत बढती जाएगी…
मेंने तुझसे कब माँगा, अपनी वफाओ का सिला… तूम बस दर्द देते जाओ , मोहब्बत बढती जाएगी…
मुफ़लिसी हालात में
मुफ़लिसी हालात में रहते वक्त बड़ी हिमाक़त से गुजरा आज वही लोग प्यार से पास बिठाकर मान करते मेरा
इश्क़ है तो
दोस्तो कह दो लड़कियो से इश्क़ है तो शक कैसा..? अगर नहीं है तो फिर हमारा हक़ कैसा….?
देखने का नजरिया
देखने का नजरिया सही होना चाहिए, ठीक वैसे ही जैसे स्कूल की पहली घंटी से नफरत होती है पर वही घंटी जब दिन की आखरी हो तो सबसे प्यारी लगती है…
जीत नहीं सकते
जीवन में हर जगह हम जीत चाहते हैं सिर्फ फूलवाले की दूकान ऐसी है, जहाँ हम कहते हैं कि हार चाहिए क्यों कि हम भगवान से जीत नहीं सकते.