यहाँ से ढूंढ़ कर ले जाये कोई तो मुझ को , जहाँ मैं ढूंढने निकला था बेख़ुदी में तुझे…!
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कतरा कतरा मेरे
कतरा कतरा मेरे हलक को तर करती है मेरी रग रग में तेरी मुहब्बत सफर करती है…
तेरा धोखा नही था..!!
मुह फेरना क्या तेरा धोखा नही था..!! मिलना बिछड़ना तो मुकद्दर की बात थी…!!
ये चार दिवारें कमबख्त..
ये चार दिवारें कमबख्त…. खुद को घर समझ बैठीं हैं ….
ऐसे कोई जाता है
ऐसे कोई जाता है क्या…. थोड़े-से तुम मेरे पास रह गए… थोड़ी सी मैं तुम्हारे संग आ गई..
मन्नत के धागे
मन्नत के धागे की तरह बाँधा है तुझे, रब करे ये गाँठे ता-उम्र ना खुल पाये !
ज़िन्दगी क्या है
ज़िन्दगी क्या है जानने के लिए ज़िंदा रहना बहुत ज़रूरी है
न जाने किस हुनर को
न जाने किस हुनर को शायरी कहते हो तुम, हम तो वो लिखते हैं जो तुम्हें कह नहीं पाते।
ज़रा ज़रा सी बात पर
ज़रा ज़रा सी बात पर, तकरार करने लगे हो… लगता है मुझसे बेइंतिहा, प्यार करने लगे हो…
समझनी है जिंदगी
समझनी है जिंदगी तो पीछे देखो, जीनी है जिंदगी को तो आगे देखो …..!!