जब से खुद से

जब से खुद से समझोता किया है मानों हर पल टूट रहा हूँ मैं..

कोई तो पैमाना

काश कोई तो पैमाना होता मोहब्बत नापने का तो शान से तेरे सामने आते सबुत के साथ

सुनो इक बात

सुनो इक बात कहूँ तुमसे रोज़े की तरह फ़र्ज़ हो जाओ मुझ पे

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