मैं शीशा हूँ

मैं शीशा हूँ टूटना मेरी किस्मत है इसलिए पत्थरो से मुझे कोई शिकायत नहीं होती|

याद है लेहज़ा उसका..!!

वो एक बात बहुत तल्ख कहीं थी उसने, बात तो याद नही, याद है लेहज़ा उसका..!!

बहुत आसान है

बहुत आसान है पहचान इसकी अगर दुखता नहीं तो दिल नहीं है|

यूँ न बर्बाद कर

यूँ न बर्बाद कर मुझे अब तो बाज़ आ दिल दुखाने से, मैं तो इंसान हूँ पत्थर भी टूट जाते है इतना आजमाने से !!

थोड़ी सी नींद

थोड़ी सी नींद दे जरा… तेरे इश्क़ मैं हुँ कोई क़त्ल ऐ आम नही किया|

दिल खामोश है

दिल खामोश है मगर होंठ हँसा करते हैं बस्ती वीरान है मगर लोग बसा करते हैं नशा मयकदों में अब कँहा है यारों.. लोग अब मय का नहीं. मैं का नशा करते हैं…….

हमें तो कब से

हमें तो कब से पता था के तू बेवफा है ऐ बेखबर तुझे चाहा ही इस लिए की शायद तेरी फितरत बदल जाये…!!

कत्ल कर के

कत्ल कर के तो सब ले जाएंगे दिल मेरा , कोई बातों से ले जाए तो क्या बात है|

इलाज़ ना ढूंढ

इलाज़ ना ढूंढ इश्क़ का वो होगा ही नहीं… इलाज़ मर्ज़ का होता है इबादत का नहीं|

हार जाउँगा मुकदमा

हार जाउँगा मुकदमा उस अदालत में, ये मुझे यकीन था.. जहाँ वक्त बन बैठा जज और नसीब मेरा वकील था…

Exit mobile version