हर एक शख़्स

हर एक शख़्स की अपनी ही एक मंज़िल है, कोई किसी का यहाँ हम-सफ़र नहीं होता…

जो गुज़ारी न जा सकी

जो गुज़ारी न जा सकी हम से, हम ने वो ज़िंदगी गुज़ारी है…

दुआ करो कि

दुआ करो कि ये पौदा सदा हरा ही लगे, उदासियों में भी चेहरा खिला खिला ही लगे…

इतिहास गवाह है

इतिहास गवाह है, कि जब भी कोई नया साल आया है,, साल भर से ज्यादा नहीं टिक पाया है……..!

सितम की रस्में

सितम की रस्में बहुत थीं लेकिन, न थी तेरी अंजुमन से पहले; सज़ा खता-ए-नज़र से पहले, इताब ज़ुर्मे-सुखन से पहले; जो चल सको तो चलो के राहे-वफा बहुत मुख्तसर हुई है; मुक़ाम है अब कोई न मंजिल, फराज़े-दारो-रसन से पहले।

आदत सी है

आदत सी है पड़ गई , किया गया स्वीकार ! महँगाई मुद्दा नहीं , ना ही भ्रष्टाचार !!

तुम लौट आना मेरी

तुम लौट आना मेरी आखिरी नज़्म की … आखिरी सांस से पहले….

घोलकर जहर खुद ही

घोलकर जहर खुद ही हवाओं में हर शख्स मुँह छुपाए घूम रहा है|

कोई खो के मिल गया

कोई खो के मिल गया तो कोई मिल के खो गया… ज़िंदगी हम को बस ऐसे ही आज़माती रही …!!

जिनकी शायरियो में

जिनकी शायरियो में होती है सिसकिया, वो शायर नहीं किसी बेवफा के दीवाने होते है !

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