महसूस जब हुआ कि

महसूस जब हुआ कि सारा शहर, मुझसे जलने लगा है, तब समझ आ गया कि अपना नाम भी, चलने लगा है |

ज़िंदगी में आईना

ज़िंदगी में आईना जब भी उठाया करो.. “पहले देखो ” फिर “दिखाया करो ……..

वो लोग भी चलते है

वो लोग भी चलते है आजकल तेवर बदलकर … जिन्हे हमने ही सिखाया था चलना संभल कर…!

घमण्ड से भी अक्सर

घमण्ड से भी अक्सर खत्म हो जाते हैं कुछ रिश्ते.. कसूर हर बार गलतियों का नहीं होता..

तुम भूल जाने में मुझे

लगे हो ना तुम भूल जाने में मुझे ! एक मासूम सी दुआ है नाकाम रहो तुम…!

वक़्त की रफ़्तार रुक गई

वक़्त की रफ़्तार रुक गई होती; शर्म से आँखे झुक गई होती; अगर दर्द जानती शमा परवाने का; तो जलने से पहले बुझ गई होती।

मुझे भी पता था

मुझे भी पता था की लोग बदल जाते है मगर, मैंने कभी तुम्हे उन लोगों में गिना ही नहीं था…

लोगों की नजरो मे

लोगों की नजरो मे हमारी कोई कीमत ना हो, लेकिन कोई तो होगा जो, हमारा हाथ पकड़ कर खुद पर नाज़ करेगा..

तुम तो कहते थे

तुम तो कहते थे अब हर शाम तुम्हारे साथ गुज़रेगी, क्या हुआ तुम बदल गए या तुम्हारे शहर में अब शाम नहीं होती?

मुस्कुराते रहोगे तो

मुस्कुराते रहोगे तो दुनिया आपके क़दमों में होगी; वरना आंसुओं को तो तो आँखें भी जगह नहीं देती।

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