परिन्दों की फ़ितरत से

परिन्दों की फ़ितरत से आए थे वो मेरे दिल में। ज़रा पंख निकल आए तो आशियाना छोड दिया॥

अजीब से जज़्बात

इतनी हसीन इतनी जवाँ रात क्या करें, जागे हैं कुछ अजीब से जज़्बात क्या करें…

उसने पूछा की

उसने पूछा की हमारी चाहत में मर सकते हो, हमने कहा की हम मर गए तो तुम्हें चाहेगा कौन

तुम नाराज हो जाओ

तुम नाराज हो जाओ, रूठो या खफा हो जाओ, पर बात इतनी भी ना बिगाड़ो की जुदा हो जाओ

इजाज़त हो तो

इजाज़त हो तो कुछ अर्ज करूं… तुम खेल चुके हो तो… मेरा दिल वापस कर दो न अब…

नादाँ तुम भी

नादाँ तुम भी नही नादाँ हम भी नही मुहब्बत का असर इधर भी है …उधर भी है

हल्की हल्की बातें

जब से तूने हल्की हल्की बातें की हैं…. तबियत भारी भारी सी रहती है……

पाँव लटका के

पाँव लटका के दुनिया की तरफ . . . . आओ बैठे किसी सितारे पर . . . .

लाज़मी नहीं के

लाज़मी नहीं के तुझे आंखों से देखूं.. तेरी खुशबू तेरे दीदार से कम तो नहीं|

तुम मिल जाओ…

तुम मिल जाओ…..निजात मिल जाये, रोज़ जीने से……………..रोज़ मरने से..!!

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