हमारे इश्क की

हमारे इश्क की तो बस इतनी सी कहानी हैं: तुम बिछड गए.. हम बिख़र गए.. तुम मिले नहीं.. और हम किसी और के हुए नही

हर एक शख्स

हर एक शख्स ख़फ़ा,मुझसे अंजुमन में था… क्योंकि मेरे लब पे वही था,जो मेरे मन में था…

बुरी सोचों के

बुरी सोचों के कारोबार में इतनी कमी तो है कमाई होती है, बरक़त नहीं होती कमाई में .

हाल–ए–दिल

हम लबों से कह ना पाये, उनसे हाल–ए–दिल कभी, और वो समझे नही यह ख़ामोशी क्या चीज है..

जिंदगी तेरी आँच

ख्वाब शीशे के थे पिघल गये, जिंदगी तेरी आँच ज्यादा थी……

एक ठहरा हुआ

एक ठहरा हुआ खयाल तेरा, न जाने कीतने लम्हों को रफ्तार देता है..!

बोलने का अंदाज़

बोलने का अंदाज़ शायराना जरूर है… मेरा, … मगर हर दफा टूटने पर आवाज़ आये, वो आईना नहीं हूँ मैं ।

कोई शिकायत नहीं

हमें उनसे कोई शिकायत नहीं; शायद हमारी किस्मत में चाहत नहीं! मेरी तकदीर को लिखकर तो ऊपर वाला भी मुकर गया; पूछा तो कहा, “ये मेरी लिखावट नहीं”!

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