ज़ालिम है तेरी अंगड़ाई

दोनों हाथों से लूटती है हमें , कितनी ज़ालिम है तेरी अंगड़ाई…!

सब फिजूल है

चाहे फेरे ले लो या कहो कबूल है अगर दिल में प्यार नहीं तो सब फिजूल है

हादसा नहीं होता…!!

दिमाग का दिल से अगर वास्ता नहीं होता ! क़सम खुदा की कोई हादसा नहीं होता…!!

खुदकुशी कर लूँ

ज़िंदगी ये चाहती है कि…… .. . खुदकुशी कर लूँ …. … मैं इस इंतज़ार में हूँ कि… कोई हादसा हो जाये

पहचानना भूल गया

कितनी शिद्दत से तराशा था उस शख्स का किरदार हमने..,. जब हुआ मुक्कमल तो हमे ही पहचानना भूल गया…..

तकलीफ देने वाले

कदर कर लो उनकी जो तुमसे बिना मतलब की चाहत करते हैं… दुनिया में ख्याल रखने वाले कम और तकलीफ देने वाले ज़्यादा होते है..!

पर ज़रूरत के हिसाब से

मैं याद तो हूँ उसे, पर ज़रूरत के हिसाब से। मेरी हैसियत, कुछ नमक जैसी है।

Intezar bhi bemisaal

Behissab thi mohbbt.. Bepnaah tha ishk mera.. Besabab hi sahi .par mera Intezar bhi bemisaal hoga.

रूठना भी बर्दाश्त नहीं

दोहरी हुकूमत जताना कोई तुमसे सीखे, खुद तो बात करेंगे नहीं……. उस पर मेरा रूठना भी बर्दाश्त नहीं ।।

Bewafai ke Zakhm

Mere Zism pe teri Bewafai ke Zakhm the, Aaj maikhane me Sharab se dhokar aaya hun..!!!

Exit mobile version