अजब दुनिया है

अजब दुनिया है नाशायर यहाँ पर सर उठाते हैं जो शायर हैं वो महफ़िल में दरी- चादर उठाते हैं तुम्हारे शहर में मय्यत को सब काँधा नहीं देते हमारे गाँव में छप्पर भी सब मिल कर उठाते हैं इन्हें फ़िरक़ापरस्ती मत सिखा देना कि ये बच्चे ज़मीं से चूमकर तितली के टूटे पर उठाते हैं… Continue reading अजब दुनिया है

जमीन जल चुकी है

जमीन जल चुकी है आसमान बाकी है, दरख्तों तुम्हारा इम्तहान बाकी है…! वो जो खेतों की मेढ़ों पर उदास बैठे हैं, उन्हीं की आँखों में अब तक ईमान बाकी है..!! बादलों अब तो बरस जाओ सूखी जमीनों पर, किसी का मकान गिरवी है और किसी का लगान बाकी है…!!!

सीख लिया है

हमने भी कलम रखना सीख लिया है, यारों! जिस दिन वो कहेगी, ‘मुझे तुमसे मोहब्बत है’, दस्तख़त करवा लूँगा.!!

कई रिश्तों को

कई रिश्तों को परखा तो नतीजा एक ही निकला, जरूरत ही सब कुछ है, महोब्बत कुछ नहीं..

निकाह-ऐ-इश्क

लो आज हम तुमसे निकाह-ऐ-इश्क करते हैं…….. हमें तुमसे मुहब्बत है, मुहब्बत है, मुहब्बत है.

ज़माना बहुत तेज़ चलता है

ज़माना बहुत तेज़ चलता है साहेब… मैं एक दिन कुछ ना लिखूँ…लोग मुझे भूलने लगते हैं

यहाँ हर कोई रखता है

यहाँ हर कोई रखता है, खबर गैरो के गुनाहों की… अजब फितरत हैं, कोई आइना रखता ही नही….

पहना रहे हो

पहना रहे हो क्यूँ मुझे तुम काँच का लिबास, क्या बच गया है फिर कोई पत्थर तुम्हारे पास…

तुम बेपरवाह रहो

तुम बेपरवाह रहो,.. हम बिना दस्तक के आये थे, बिना आहट के जायेंगे..

इस कदर न दिजिये

इस कदर न दिजिये एहमियत खबरों को… ये चनों से लिपट कर ,, पाँच रूपए में बिक जातीं हैं..

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