ख़ुबसूरत था इस

ख़ुबसूरत था इस क़दर के महसूस ना हुआ.. कैसे,कहाँ और कब मेरा बचपन चला गया….

कब तक लफ़्ज़ों की

कब तक लफ़्ज़ों की कारीगरी करता रहूँ… … समझ जाओ ना that I love you

तन्हाई लिखते समय

तन्हाई’ लिखते समय तुम मेरे सबसे पास थी

देना हो साथ तो

देना हो साथ तो जिंदगी भर का देना ऐ दोस्त लम्हों का साथ तो जनाजा उठाने वाले भी दिया करते है।

ना जिकर करो मेरी

ना जिकर करो मेरी अदा के बारे मे, हम भी जानते है सब कुछ वफा के बारे मे, सुना है वो भी मोहब्बत का शौक रखते है, जिन्हे खबर ही नही कुछ वफा के बारे मे …

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