अख़बार का भी

अख़बार का भी अजीब खेल है, सुबह अमीरों की चाय का मजा बढाती है, रात में गरीबों के खाने की थाली बन जाती है।

उम्मीदों के ताले

उम्मीदों के ताले पड़े के पड़े रह गए, तिज़ोरी उम्र की, ना जाने कब ख़ाली हो गई !!

संदेशा प्रेम का

संदेशा प्रेम का देता फिरता है वो घर दिलों में सभी के ही बना देता है!

इतनी चाहत से

इतनी चाहत से न देखो भरी महफ़िल में मुझे वो हरेक बात का अफसाना बना देता है!

मुश्किलें आयीं मगर

मुश्किलें आयीं मगर लौट गयीं उलटे पाँव कोई ऐसा भी है जो मुझको दुआ देता है!

कुछ हाथ नहीं है

सिर्फ पछतावे के कुछ हाथ नहीं है आता वक़्त बेकार में जो अपना गँवा देता है!

उलझा के रख दिया है

उलझा के रख दिया है किसी ने जवाब को सीधा सा था सवाल….प्यार करते हो या नहीं…

तुम दूर बहुत दूर हो

तुम दूर बहुत दूर हो मुझसे ये तो जानता हूँ मैं,..!! पर तुमसे करीब मेरे कोई नही है बस ये बात तुम याद रखना..!!

मुझ में बेपनाह मुहब्बत

मुझ में बेपनाह मुहब्बत के सिवा कुछ भी नही, तुम अगर चाहो तो मेरी साँसो की तलाशी ले लो..

हाल पूछते नहीं

हाल पूछते नहीं ये बे-वफ़ा दुनिया जिंदा लोगों का, चले आते हैं तैयार हो कर जनाज़े पे बारात की तरह..

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