लहरों की ज़िद पर क्यों अपनी शक़्ल बदल लेतीं है , दिल जैसा कुछ होता होगा शायद इन चट्टानों में।
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कुछ ऐसे खो जाते है
कुछ ऐसे खो जाते है तेरे दीदार में जैसे बच्चे खो जाते है भरे बाज़ार में|
डरते हैं उस पंछी के
डरते हैं उस पंछी के आशियाँ के उजड़ने से हम भी उजड़े थे… किसी तूफान में.. यूँ ही
मस्जिद की मीनारें
मस्जिद की मीनारें बोली मन्दिर के कंगूरों से,, सम्भव हो तो देश बचा लो मज़हब के लंगूरों से।।
उसकी कत्थई आँखों में
उसकी कत्थई आँखों में हैं जंतर-मंतर सब चाक़ू-वाक़ू, छुरियाँ-वुरियाँ, ख़ंजर-वंजर सब जिस दिन से तुम रूठीं मुझ से रूठे-रूठे हैं चादर-वादर, तकिया-वकिया, बिस्तर-विस्तर सब मुझसे बिछड़ कर वह भी कहाँ अब पहले जैसी है फीके पड़ गए कपड़े-वपड़े, ज़ेवर-वेवर सब आखिर मै किस दिन डूबूँगा फ़िक्रें करते है कश्ती-वश्ती, दरिया-वरिया लंगर-वंगर सब
रोज़ न सोचूँ तो
उस रात से हम ने सोना ही छोड़ दिया ‘यारो’ जिस रात उस ने कहा कि सुबह आंख खुलते ही हमे भूल जाना..
कोहरे ने गजब सीख दी
आज सुबह के घने कोहरे ने गजब सीख दी, बहुत दूर तक देखने की कोशिश व्यर्थ है… एक एक कदम चलते चलो, रास्ता स्वयं खुलता जाएगा..!
तबियत क्या खराब हुई
ज़रा सी तबियत क्या खराब हुई बूढ़े बाप की , बेटे वकील को बुला लाये….. डाक्टर से पहले।
दिल गवारा नहीं करता है
दिल गवारा नहीं करता है शिकस्त-ए-उम्मीद हर तग़ाफ़ुल पे नवाज़िश का गुमाँ होता है|
किसी के पास टुटा हुआ दिल
किसी के पास टुटा हुआ दिल है क्या.. आधा मेरे वाला जोड़के एक नया दिल बनाना था… !!