कहीं भी यूँ एकटक

कहीं भी यूँ एकटक देखते रहना,, हर आदत तेरी दी हुई लगती हैं।।

इक लफ्ज़ था

इक लफ्ज़ था मैं आधा अधूरा सा, रहबर से जुड़ा और कहानी बन गया !

पेड़ से जाते देखा

पेड़ से जाते देखा मैंने एक परिंदे को याद आ गया तेरा जाना छोड़ कर दिल के घरोंदे को।। काश परिंदा लौट आये।।

कही बार मिलते हैं

कही बार मिलते हैं हम बेवजह, बेवजह हम वजह ढूंड ही लेते हैं।

आँखो के नीचे

आँखो के नीचे..ये काले निशान.. सबूत है. कई राते..खर्च की है.. मैने तुम्हारे लिये..

यूँ लगा जैसे ज़िन्दगी

यूँ लगा जैसे ज़िन्दगी इसे ही कहते हो, जो यूँ भटकते भटकते तूने हाथ थाम लिया।।

हर रोज तरीके से रखता हूँ

हर रोज तरीके से रखता हूँ, हर रोज बिखर जाती हैं। मेरी ज़िन्दगी हो गयी हैं बिलकुल, टेबल पर पड़ी किताबो की तरह।

ये सोच कर रोज मिलते हैं

ये सोच कर रोज मिलते हैं हम उनसे, शायद कभी तो पहली मुलाक़ात हो।

आज दर्द उतना ही हैं

आज दर्द उतना ही हैं मेरे भीतर, जैसे शराब से भरा हुआ जाम। अब और भरो तो छलक आएगा।

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