एक सुबह हो जाती हैं

एक सुबह हो जाती हैं हर शाम मेरी, ऐसा भी एक रात रहती हैं मेरे दिन में।

जब से तुम्हारा पता

जब से तुम्हारा पता मालूम हुआ हैं। पता नही क्या क्या भूल गया हूँ मैं।

तुमसे हारा मैं

तुमसे हारा मैं, जिस बात पर, तुम्हारे बात ना करने की बात थी।

ये बेवजह मेंरा वजह ढूंढ

ये बेवजह मेंरा वजह ढूंढ लाना, तेरी दी हुई आदतों में से ही एक हैं।

कब तक लब्जो की

कब तक लब्जो की कारीगरी करता रहूँ समझ जाओ ना में तुमसे प्यार करता हूँ

जख्म है कि दिखते

जख्म है कि दिखते …….. नही , मगर ये मत समझिए कि दुखते नही…..!!

सौ बार खत निकालकर

सौ बार खत निकालकर देखा है जेब से…; हम जो समझ रहे हैं वो उसने लिखा ही नहीं

आसमाँ की ऊंचाई नापना

आसमाँ की ऊंचाई नापना छोड़ दे ए दोस्त…. ज़मीं की गहराई बढ़ा… अभी और नीचे गिरेंगे लोग

संग ए मरमर से तराशा खुदा ने

संग ए मरमर से तराशा खुदा ने तेरे बदन को, बाकी जो पत्थर बचा उससे तेरा दिल बना दिया

इज़हार-ए-याद करुँ

इज़हार-ए-याद करुँ या पूछूँ हाल-ए-दिल उनका, ऐ दिल कुछ तो बहाना बता उनसे बात करने का

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