सफर कहाँ से कहाँ तक पहुँच गया मेरा.. रुके जो पांव….तो कांधो पे जा रहा हूँ मैं..
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मेरे दिल ने
मेरे दिल ने आज उसको बहुत याद कर रहा है।।दोस्त दुआ करो की उसे भूल जाऊँ..
लफ़्ज़ों से कहाँ लिखी जाती है…
लफ़्ज़ों से कहाँ लिखी जाती है…ये बेचैनियां मोहब्बत की… मैंने तो हर बार तुम्हे…दिल की गहराईयो से पुकारा है…
आज बहुत मेहरबान हो
आज बहुत मेहरबान हो सनम क्या चाहते हो, हमें पाना चाहते हो या किसी को जलाना चाहते हो…
नहीं मांगता ऐ खुदा
नहीं मांगता ऐ खुदा, कि जिंदगी सौ साल की दे, दे भले चंद लम्हों की, लेकिन कमाल की दे।
आज़ाद कर दिया
आज़ाद कर दिया हमने भी उस पंछी को, जो हमारी दिल की कैद में रहने को तोहिं समझता था।
घोंसला बनाने में ..
घोंसला बनाने में .. हम यूँ मशगूल हो गए ..! कि उड़ने को पंख भी थे .. ये भी भूल गए ..!!!
जाने क्यूँ आजकल
जाने क्यूँ आजकल, तुम्हारी कमी अखरती है बहुत यादों के बन्द कमरे में, ज़िन्दगी सिसकती है बहुत पनपने नहीं देता कभी, बेदर्द सी उस ख़्वाहिश को महसूस तुम्हें जो करने की, कोशिश करती है बहुत..
कितना प्यार है
कितना प्यार है तुमसे, वो लफ्ज़ों के सहारे कैसे बताऊँ, महसूस कर मेरे एहसास को, अब गवाही कहाँ से लाऊँ।
मनमौजी दिल का
मनमौजी दिल का सरल, मानव रहे प्रसन्न। तुनक़मिजाज़ी आदमी, रहता हरदम सन्न।।