ये सोच कर

ये सोच कर की शायद वो खिड़की से झाँक ले..

ज़िंदगी के दो पड़ाव

ज़िंदगी के दो पड़ाव अभी उम्र नहीं है अब उम्र नहीं है ।

जब हौसला बना

जब हौसला बना लिया ऊँची उड़ान का… फिर देखना फिज़ूल है कद आसमान का…

अब मौत से

अब मौत से कह दो कि नाराज़गी खत्म कर ले, वो बदल गयी है जिसके लिए हम ज़िंदा थे​।

चंद ख़ामोश ख्याल

चंद ख़ामोश ख्याल और तेरी बातें,ख़ुद से गुफ़्तगू में गुज़र जाती है रातें ….

ख़्वाब टूटे हैं

ख़्वाब टूटे हैं मगर हौंसले तो ज़िंदा हैं हम वो शै है जहाँ मुश्किलें शर्मिंदा हैं।

आग लगे तो

आग लगे तो शायद अंधेरा पिघले तेरी चिता की कोख से जब सूरज निकले।

उस टूटे झोपड़े में

उस टूटे झोपड़े में बरसा है झुम के भेजा ये कैसा मेरे खुदा सिहाब जोड़ के

एक खूबसूरत कहानी

एक खूबसूरत कहानी रात के आगोश में पनाह लेगी, चाँद निकाह कराएगा और चाँदनी गवाही देगी….

वो मेरे चेहरे तक

वो मेरे चेहरे तक अपनी नफ़रतें लाया तो था, मैंने उसके हाथ चूमे और बेबस कर दिया !

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