रफ्ता रफ्ता उन्हें भूले हैं

रफ्ता रफ्ता उन्हें भूले हैं मुद्दतों में हम.. किश्तों में खुदकुशी का मज़ा हमसे पूछिये..

जनाजा देखकर मेरा

जनाजा देखकर मेरा वो बेवफा बोल पड़ी, वही मरा है ना जो मुझ पर मरता था..

टूटे हुए ख्वाबों की

टूटे हुए ख्वाबों की चुभन कम नहीं होती, अब रो कर भी आँखों की जलन कम नहीं होती….!!

ऐ काश ज़िन्दगी भी

ऐ काश ज़िन्दगी भी किसी अदालत सी होती,,, सज़ा-ऐ-मौत तो देती पर आख़िरी ख्वाइश पूछकर…

मैं अगर नशे में

मैं अगर नशे में लिखने लगूं,,, खुदा कसम होश आ जाये तुम्हे…

बड़ा गजब किरदार है

बड़ा गजब किरदार है मोहब्बत का, अधूरी हो सकती है मगर ख़तम नहीं…

मुसाफ़िर ही मुसाफ़िर

मुसाफ़िर ही मुसाफ़िर हर तरफ़ हैं, मगर हर शख़्स तन्हा जा रहा है…

बैठ जाता हूँ

बैठ जाता हूँ अब खुले आसमान के नीचे तारो की छाँव मे,,, अब शौक नही रहा महफिलो मे रंग जमाने का…

सुलगती तमन्नाओं को

इस तरह सुलगती तमन्नाओं को बुझाया मैं ने, करके रोशन यार की महफ़िल अपना घर जलाया मैंने…

अक्सर ये सवाल करती है…

मेरी मुहब्बत अक्सर ये सवाल करती है… जिनके दिल ही नहीं उनसे ही दिल लगाते क्यूँ हो…

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