मकसद पहचान लेते है

शहद जुबा के मकसद पहचान लेते है , गैरजरूरी तवज्जो की वजह जान लेते है । हमे मासूम , बेखबर , नादां समझते है वो , और हम रिश्तों को “बंदगी”

चलो कुछ बात करते हैं

चलो कुछ बात करते हैं, बिन बोले बिन सुने एक तन्हा मुलाक़ात करते हैं|

पैसों के लिये

पैसों के लिये नाता तोड़ने वाले पैसा छुपाने के लिये रिश्तेदार ढूँढ रहे है |

काश मुलाकात हो

काश मुलाकात हो तुमसे कुछ इस तरह मेरी सारी जिंदगी बस एक मुलाकात में गुजार लूँ|

जब बिखरेगा तेरे गालों पर

जब बिखरेगा तेरे गालों पर तेरी आँखों का पानी,तब तुझे अहेसास होगा की मोहब्बत किसे कहते है !!

कुछ बातें कह दी जायें

कुछ बातें कह दी जायें तो मुनासिब हैं…… कि प्यार हो या नफरत ज़ाहिर हो जाये तो अच्छा है ..

छू जाते हो

छू जाते हो तुम मुझे हर रोज एक नया ख्वाब बनकर.. ये दुनिया तो खामखां कहती है कि तुम मेरे करीब नहीं..

जानते थे मरने तक

जानते थे मरने तक सताओगे, लेकिन मार के भी सताओगे… ऐसा तो कभी सोचा भी न था|

तुम याद आओगे

तुम याद आओगे, यकीन था मुझे… इतना आओगे, अंदाजा नहीं था|

ज़ुल्फ़ के साए में

ज़ुल्फ़ के साए में एक झुमका छुपा है, उसकी तस्वीर में रात और चाँद दोनों क़ैद हैं|

Exit mobile version