मकसद पहचान लेते है

शहद जुबा के मकसद पहचान लेते है ,
गैरजरूरी तवज्जो की वजह जान लेते है ।
हमे मासूम , बेखबर , नादां समझते है वो ,
और हम रिश्तों को “बंदगी”

छू जाते हो

छू जाते हो तुम मुझे हर रोज एक नया ख्वाब बनकर..
ये दुनिया तो खामखां कहती है कि तुम मेरे करीब नहीं..