वाक़िफ़ कहाँ ज़माना हमारी

वाक़िफ़ कहाँ ज़माना हमारी उड़ान से, वो और थे जो हार गए आसमान से…

तड़पती रहती है

तड़पती रहती है नींद आँखों की दहलीज़ पे तेरी यादों से वावस्तगी मुझें सोने नहीं देती..!

तू कितनी भी

तू कितनी भी खुबसुरत क्यूँ ना हो ए ज़िंदगी खुशमिजाज़ दोस्तों के बगैर तु अच्छी नहीं लगती..!!

एक चुटकी चाहत..

तूम एक चुटकी चाहत.. मैं एक टुकड़ा इश्क….!!

हर वक़्त पल पल

हर दिन हर वक़्त पल पल बेहिसाब जहन में बस तुम ही तुम आँखों में बस एक चेहरा सिर्फ तुम सिर्फ तुम

जो आपकी खामोशी को

जो आपकी खामोशी को न समझ पाये , वो आपके लफ्जों को भी नहीं समझ पायेगा……….।

चार दिन बीत गए

चार दिन बीत गए, लेकिन एक बात समझ में आ गयी कि बिना पैसों के भी जिया जा सकता है।।

मैं पेड़ हूं

मैं पेड़ हूं हर रोज़ गिरते हैं पत्ते मेरी शाखो से,, फिर भी बारिश से बदलते नहीं रिश्ते मेरे

रोज़ सोचता हूँ

रोज़ सोचता हूँ की भूल जाऊं तुम्हें, रोज़ ये बात भूल जाता हूँ ………..।

ख़ुशीयो का दौर भी

ख़ुशीयो का दौर भी आ जाएगा एक दिन, ग़म भी तो मिल गये थे तमन्ना किये बगैर ……

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