निगाहों से भी

निगाहों से भी चोट लगती है जनाब…… जब कोई देखकर भी अनदेखा कर देताहै।..

शिकवा तकदीर का

शिकवा तकदीर का. ना शिकायत अच्छी !!!!! खुदा जिस हाल मे रखे वही जिंदगी अच्छी…….!!!!!!!

अजब हाल है

अजब हाल है आदमी की शख्शियत का,.. हवस खुद की उठती है तवायफ उसको कहता है…

ज़मीं पर वो

ज़मीं पर वो मेरा नाम लिखते है और मिटाते है… उनका तो टाइम पास हो जाता है कमबख्त मिटटी में हम मिल जाते है

ज़ालिम ने फ़रमाया

जलती हुई cigarate को देख कर ज़ालिम ने फ़रमाया , दिल को जलाती हे पर होठो तक तो आती हे….

लोग वाह वाह करें

ख्वाइश बस इतनी सी है की तुम मेरे लफ़्ज़ों को समझो…. आरज़ू ये नही की लोग वाह वाह करें..

अजीब चीज बनायीं

मोहब्बत भी अजीब चीज बनायीं खुदा तूने,तेरे ही मंदिर में, तेरी ही मस्जिद में, तेरे ही बंदे, तेरे ही सामने रोते हैं, तुझे नहीं,किसी और को पाने के लिए!

आँखों में नज़र

उसकी आँखों में नज़र आता है सारा जहां मुझ को; अफ़सोस कि उन आँखों में कभी खुद को नहीं देखा।

बेक़सूर कौन होता

बेक़सूर कौन होता हैं इस ज़माने में बस सबके गुनाह पता नहीं चलते।।

इज़हार कर गयी…!!

एक मैं था जो थक गया, लफ्ज़ ढूंढ-ढूंढ कर,, एक वो थी जो खरीदे हुए गुलाब देकर इज़हार कर गयी…!!

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