उनसे कह दो अपनी मसरूफ़ियत ज़रा कम कर दे, सुना है बिछड़ने की ये पहली निशानी है!
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हर रंग लगा के देखा
हर रंग लगा के देखा चेहरे पर रंग उदासी का उतरा ही नही..!!
इरादे बाँधता हूँ
इरादे बाँधता हूँ सोचता हूँ तोड़ देता हूँ कहीं ऐसा न हो जाए कहीं वैसा न हो जाए
मेरी गुमशुदगी की जब
मेरी गुमशुदगी की जब तफ्शीश हुई, मैं बरामद हुआ उनके ख्यालों में…
शतरंज खेल रही है
शतरंज खेल रही है जिंदगी कुछ इस कदर, कभी तेरा इश्क़ मात देता है कभी मेरे लफ्ज़
लहरों की ज़िद
लहरों की ज़िद पर क्यों अपनी शक़्ल बदल लेतीं है , दिल जैसा कुछ होता होगा शायद इन चट्टानों में।
कुछ ऐसे खो जाते है
कुछ ऐसे खो जाते है तेरे दीदार में जैसे बच्चे खो जाते है भरे बाज़ार में|
डरते हैं उस पंछी के
डरते हैं उस पंछी के आशियाँ के उजड़ने से हम भी उजड़े थे… किसी तूफान में.. यूँ ही
मस्जिद की मीनारें
मस्जिद की मीनारें बोली मन्दिर के कंगूरों से,, सम्भव हो तो देश बचा लो मज़हब के लंगूरों से।।
उसकी कत्थई आँखों में
उसकी कत्थई आँखों में हैं जंतर-मंतर सब चाक़ू-वाक़ू, छुरियाँ-वुरियाँ, ख़ंजर-वंजर सब जिस दिन से तुम रूठीं मुझ से रूठे-रूठे हैं चादर-वादर, तकिया-वकिया, बिस्तर-विस्तर सब मुझसे बिछड़ कर वह भी कहाँ अब पहले जैसी है फीके पड़ गए कपड़े-वपड़े, ज़ेवर-वेवर सब आखिर मै किस दिन डूबूँगा फ़िक्रें करते है कश्ती-वश्ती, दरिया-वरिया लंगर-वंगर सब