बदन की क़ैद से बाहर

बदन की क़ैद से बाहर, ठिकाना चाहता है; अजीब दिल है, कहीं और जाना चाहता है!

बस एक दिन

वो कहते हैँ हम उनकी झूठी तारीफ करते हैँ… ए खुदा.. बस एक दिन.. आईने को जुबान दे दे..

खत्म न होने वाली तलाश

कभी खत्म न होने वाली तलाश लगती है ये जिंदगी मुझे सीता का बनवास लगती है|

चराग़ ही ने उजालों की

चराग़ ही ने उजालों की परवरिश की है चराग़ ही से उजाले सुबूत मांगते हैं हम अहले दिल से हमारी वतनपरस्ती का वतन को बेचने वाले सुबूत मांगते हैं…

जो देखता हूँ

जो देखता हूँ वो बोलने का आदि हूँ मैं इस शहर का सबसे बड़ा फसादी हूँ…

सुबह तक मैं सोचता हूँ

सुबह तक मैं सोचता हूँ शाम से जी रहा है कौन मेरे नाम से |

यूं खुले बाल लेकर

यूं खुले बाल लेकर छत पर तेरा रात को जाना चांदनी रातो में जेसे मैखाने खुले रख दिए हो|

उसकी मुहब्बत का सिलसिला

उसकी मुहब्बत का सिलसिला भी क्या अजीब है, अपना भी नहीं बनाती और किसी का होने भी नहीं देती….!!

तेज़ रफ़्तार हुआ है

तेज़ रफ़्तार हुआ है, ज़माना इतना के.. लोग मर जाते है, जीने का हुनर आने तक |

मेरे चाहने वाले बहुत हैं

मुझे घमंड था की मेरे चाहने वाले बहुत हैं इस दुनिया में, लेकिन बाद में पता चला की सब चाहते हैं, अपनी जरूरत के लिए..

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