कैसे बदल दूं

कैसे बदल दूं मैं फितरत ये अपनी , मुझे तुम्हें सोचते रहने की आदत सी हो गई है..!!

याद न कर पाऊँ

किसी रोज़ याद न कर पाऊँ तो खुदग़रज़ ना समझ लेना दोस्तों, छोटी सी इस उम्र मैं परेशानियां बहुत हैं..!!

टूट जाने में

टूट जाने में खिलौनों की तरह होता है, आदमी इश्क़ में बच्चों की तरह होता है।

शम्मे न जला तू

शम्मे न जला तू अभी, रहने दे अंधेरे को.. तू रात के पहलू में | एक चांद सी लगती है

मेरे दर्द भरे

मेरे दर्द भरे उदास शेर को हौंसला देने वालों, ज़रा मेरे शिकार लफ़्ज़ों की भी तबियत पूछ लेते।

इस शहर में

इस शहर में अंधे और बहरे बसते हैं, कैसे मान लू जलसा हुआ होगा ।।

खतों से तेरे

खतों से तेरे पुराने, आती है वफा की खुशबू , ये तितली तो नही इसको उडाऊं कैसे।

अभी मिलन की राह में

अभी मिलन की राह में ए दिल तन्हाइयो जरा दामन छोड़ दो….!! रुत है सनम से, आँखे चार करने की….!!

मैं शब्दों से

मैं शब्दों से कहीं ज्यादा हूँ… इक बार सृजन करके देखो मुझे… ज़िन्दगी और ज़िन्दगानी में फ़र्क बूझ पाओगे…

हर एक दर्द को

हर एक दर्द को आंसू नहीं मिलते गमो का भी मुक़्क़दर होता है साहेब|

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