हम वो हैं

हम वो हैं जो खुदा को भूल गये, तू मिरी जान किस गुमान में है..?

हमसे मुकम्मल हुई

हमसे मुकम्मल हुई ना कभी, ए जिन्दगी तालीम तेरी…। शागिर्द कभी हम बन न सके, और उस्ताद तूने बनने ना दिया ।।

हुआ मैं जब से

हुआ मैं जब से अपने सच से वाक़िफ तभी से खुद को झूठा लग रहा हूँ ।

बदल गई है

बदल गई है रुत मेरी इन आँखों की, बरसात होती रहेती है घडी घडी !!

कुछ नहीँ था

कुछ नहीँ था मेरे पास खोने को, जब से मिले हो तुम डर गया हूँ मैँ..

मत तोल मोहब्बत मेरी

मत तोल मोहब्बत मेरी अपनी दिल्लगी से…. चाहत देखकर मेरी अक्सर तराज़ू टूट जाते है

वो धागा ही था

वो धागा ही था जिसने छिपकर पूरा जीवन मोतियों को दे दिया… और ये मोती अपनी तारीफ पर इतराते रहे उम्र भर…।

बड़ी अजीब सी

बड़ी अजीब सी मोहब्बत थी उन्की …..!पहले पागल किया,फिर पागल कहा, फिर पागल समझ कर छोड़ दिया….!!

इस दुनिया मेँ

इस दुनिया मेँ अजनबी रहना ही ठीक है.. लोग बहुत तकलीफ देते है अक्सर अपना बना कर !

आशियाने बनाए भी

आशियाने बनाए भी तो कहाँ बनाए जनाब…. ज़मीने महँगी होती जा रही है और दिल में जगह लोग देते नहीं है|

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