मोहब्बत है गज़ब उसकी शरारत भी निराली है, बड़ी शिद्दत से वो सब कुछ निभाती है अकेले में…
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इश्क था इसलिए
इश्क था इसलिए सिर्फ तुझसे किया, फ़रेब होता तो सबसे किया होता|
हमने देखा था
हमने देखा था शौक-ऐ-नजर की खातिर ये न सोचा था के तुम दिल मैं उतर जाओगे||
परिन्दों की फ़ितरत से
परिन्दों की फ़ितरत से आए थे वो मेरे दिल में। ज़रा पंख निकल आए तो आशियाना छोड दिया॥
इतनी जवाँ रात
इतनी हसीन इतनी जवाँ रात क्या करें, जागे हैं कुछ अजीब से जज़्बात क्या करें…
उसने पूछा की
उसने पूछा की हमारी चाहत में मर सकते हो, हमने कहा की हम मर गए तो तुम्हें चाहेगा कौन|
तुम नाराज हो जाओ
तुम नाराज हो जाओ, रूठो या खफा हो जाओ, पर बात इतनी भी ना बिगाड़ो की जुदा हो जाओ|
न तो धन छुपता है
न तो धन छुपता है न मोहब्बत , जाहिर हो ही जाता है छुपाते – छुपाते
लम्हा सा बना दे
लम्हा सा बना दे मुझे.. रहूँ गुज़र के भी साथ उसके
नादाँ तुम भी
नादाँ तुम भी नही नादाँ हम भी नही मुहब्बत का असर इधर भी है …उधर भी है