कैसे बयान करुं

कैसे बयान करुं सादगी मेरे महबूब की, पर्दा हमी से था मगर नजर हम पर ही थी…

मोहब्बत ही तो है..

उसकी मोहब्बत ही तो है… जो मेरी जिंदगी को खूबसुरत बनाती है…

कुछ उनकी मजबूरियाँ…

कुछ उनकी मजबूरियाँ…कुछ मेरी कश्मकश, बस यूँ ही एक ख़ूबसूरत कहानी को…खत्म कर दिया हमने…

ये जो मेरे हालात हैं

ये जो मेरे हालात हैं एक दिन सुधर जायेंगे मगर तब तक कई लोग मेरे दिल से उतर जायेंगे

तुम आ के थाम लो

तुम आ के थाम लो ना मुझे… सब ने छोर दिया है मुझे तुम्हारा समझ कर…

रूह तक नीलाम हो जाती है

रूह तक नीलाम हो जाती है इश्क के बाज़ार में, इतना आसान नहीं होता किसी को अपना बना लेना…!!

बहारों की चाह में

बहारों की चाह में गुजर जाती है यह ज़िंदगी, और कुछ फूल हंसके पतझड़ों में पलना सीख जाते हैं…

मेरे सीने में

मेरे सीने में नहीं तो तेरे सीने में सही, हो कहीं भी आग, लेकिन आग जलनी चाहिए।

जो कहते थे

जो कहते थे मुझे डर है, कहीं मैं खो न दूँ तुम्हे, सामना होने पर मैंने उन्हें चुपचाप गुजरते देखा है।

टूटकर शाख से

टूटकर शाख से मिट्टी में कहीं बिखर जाता है, रो तो लेता हूं मगर दर्द और भी बढ जाता है|

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