कोशिश भी मत करना, मुझे संभालने की अब तुम, बेहिसाब टूटा हुं, जी भर के बिखर जाने दो मुझे..!!
Tag: व्यंग्य
कुछ न कुछ कमियाँ
कुछ न कुछ कमियाँ बता कर, निगाहों से गिराती है। दुनियां नेक नीयत पर भी, उँगलियाँ अब उठाती हैं.!!
मेरे नाम से घबराहट तो होगी
दरख़्त-ए-नीम हूँ, मेरे नाम से घबराहट तो होगी, छांव ठंडी ही दूँगा, बेशक पत्तों में कड़वाहट तो होगी..!!
हर शख्स के काबिल
हर शख्स नही होता हर शख्स के काबिल … हर शख्स को अपने लिए सोचा नही करते |
प्यार होता हैं
मिलन की रुत से मुहोब्बत को तराशने वालों, अकेले बैठ के रोना भी प्यार होता हैं..!!
मिट्टी से बने लोग
समझ में नहीं आता वफा करें तो किससे करें …! मिट्टी से बने लोग काग़ज़ के टुकडों पे बिक जाते हैं …!!
आँसू की राह
गाल पर ढलके हुए आँसू की राह थाम कर। उसका काज़ल सब कहानियाँ बता निकला।
इतनी शिद्दत से
काईनात में कोई इतनी शिद्दत से किसी का इंतेजार नहीं करता जितना अल्लाह अपने बंदे की तौबा का करता है
काईनात में कोई
काईनात में कोई इतनी शिद्दत से किसी का इंतेजार नहीं करता जितना अल्लाह अपने बंदे की तौबा का करता है
टूट जाते हैं
इलाही क्या इलाक़ा है वो जब लेते हैं अंगड़ाई मिरे ज़ख़्मों के सब टाँके अचानक टूट जाते हैं