वो जज़्बात थे

कागज़ पर उतारे कुछ लफ्ज़, ना खामखा थे.. ना फ़िज़ूल थे.. ये वो जज़्बात थे.. लब जिन्हें कह ना पाएं थे कभी…!!

ज़िद्दी सा होना चाहिए

ख्वाहिश भले छोटी सी हो लेकिन…उसे पूरा करने के लिए  दिल ज़िद्दी सा होना चाहिए..

गुरुर ने खो दी।

मुड़कर नहीं देखता अलविदा के बाद , कई मुलाकातें बस इसी गुरुर ने खो दी।

मुझे ही पाए

जाए जहाँ तू जाए…. पाए मुझे ही पाए….

कुछ बन जाऊ

माना की आज इतना वजुद नही हे मेरा पर… बस उस दिन कोई पहचान मत निकाल लेना जब मे कुछ बन जाऊ…

शायरी कि जुँबा

लगने दो आज महफिल …. शायरी कि जुँबा में बहते है …. . तुम ऊठा लो किताब गालिब कि …. हम अपना हाल ए दिल कहते है

शिकायत नहीं कर सकते

शिकवा तो बहुत है मगर शिकायत नहीं कर सकते मेरे होठों को इज़ाज़त नहीं तेरे खिलाफ बोलने की

तुम्हारी बेरुखी भी

कहाँ तलाश करोगे तुम दिल हम जैसा.., जो तुम्हारी बेरुखी भी सहे और प्यार भी करे…!!

काला टीका लगा दूँ

जब भी देखता हूँ तेरी मोहब्बत की पाकीज़गी दिल करता है तेरी रूह को काला टीका लगा दूँ…

शिकायत तुम्हे वक्त से

शिकायत तुम्हे वक्त से नहीं खुद से होगी, कि मुहब्बत सामने थी, और तुम दुनिया में उलझी रही

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