न जाने कब

न जाने कब खर्च हो गये , पता ही न चला….! . . . वो लम्हे , जो छुपाकर रखे थे “जीने के लिए”…!!

ये उम्मीद नही थी.

मुझे किसी के बदल जाने का गम नही है, बस कोई था जिससे ये उम्मीद नही थी..!!

मर्यादा तोड़े तो

पानी मर्यादा तोड़े तो “विनाश” “और” वाणी मर्यादा तोड़े तो “सर्वनाश”

मीठा बोलने वाले

मीठा शहद बनाने वाली मधुमक्खी भी डंख मारने से नहीं चुकती इसलिए होंशियार रहें… बहुत मीठा बोलने वाले भी ‘हनी’ नहीं ‘हानि’ दे सकते है

बिछड़ गयी ज़िन्दगी

वो मुझ से बिछड़ी तोह बिछड़ गयी ज़िन्दगी मुझसे, मैं ज़िंदा तो रहा मगर जिन्दो में ना रहा………….

जिंदगी बेवफा सी

पास रहकर, जुदा सी लगती है ,जिंदगी बेवफा सी लगती है..!!! मै तुम्हारे बगैर भी जी लूँ , ये दुआ बद दुआ, सी लगती है .!!! नाम उसका लिखा है आँखों में,आसुओं की ख़ता सी लगती है.!!! वो भी इस तरफ से गुज़रा है, ये ज़मी आसमां सी लगती है .!!! प्यार करना भी जुर्म… Continue reading जिंदगी बेवफा सी

मोहब्बत डूब गयी

ये साहिल पर बिखरे हुए फूल उफ्फ्फ न जाने आज फिर किसकी मोहब्बत डूब गयी………

कमज़ोर बुढ़ापा है

माँ बाप की मजबूरी ऐ काश कोई समझे, कमज़ोर बुढ़ापा है मुँहज़ोर जवानी है…!!

किसी का नहीं होता

दुनियावी तजुर्बा है हक़ीकत में है होता ; जो माँ -बाप का न होता किसी का नहीं होता …

इतने न कर

इतने न कर जुल्म माँ बाप पर बन्दे ; वे सोचने लगे कि बेऔलाद ही होता .

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